RTI का जबाव रोकने के लिए सामने आया भ्रस्ट गठजोड़ का काला सच।
आपको बता दें कि तिमारपुर क्षेत्र के बालक राम बस स्टैंड से लेकर DTC BUS PASS बूथ तक पिछले कुछ सालों में फुटपाथ पर अतिक्रमण कर अवैध दुकानें बनाई गई है! तिमारपुर वॉर्ड 11 की पूर्व पार्षदा के कार्यकाल में गैरकानूनी तरीके से इस सड़क पर यह खोके बनाए गए थे जिनका उस वक्त स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया था लेकिन निगम अधिकारियों की मिलीभगत से यह गैरकानूनी दुकानें यहां से नहीं हटी। निगम चुनाव 2022 के दौरान भी इन अवैध दुकानों का मुद्दा काफ़ी चर्चा में था, तब आप प्रत्याशी प्रोमिला गुप्ता ने जो कि वर्तमान में तिमारपुर वॉर्ड की पार्षदा हैं उनका कहना था कि उनके सत्ता में आते ही इन अवैध दुकानों को यहां से हटाया जायेगा लेकिन वर्तमान में इन अवैध दुकानों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
तिमारपुर क्षेत्र में ही रहने वाले स्थानीय निवासी ने एक RTI लगाकर दिल्ली नगर निगम से जानकारी मांगते हुए पूछा कि फुटपाथ पर लगी यह दुकानें वैध है या अवैध हैं, लेकिन RTI कानून के मुताबिक तय समय सीमा तक भी आवेदक को ज़न सूचना अधिकार का कोई जवाब नहीं मिला।
RTI आवेदक ने जबाव न मिलने पर प्रथम अपील अधिकारी को संबंधित RTI पर अपील दर्ज करायी लेकिन प्रथम अपील पर भी आवेदक को कोई जबाव पत्र नहीं मिला! तत्पश्चात आवेदक सिविल लाइन स्थित निगम कार्यालय पहुंचे और निगम के डाक विभाग में जाकर दर्ज आरटीआई के संबंध में जानकारी ली! डाक विभाग में कार्यरत महेश नामक व्यक्ति ने रिकॉर्ड चेक किया तो पता चला RTI आवेदन उनकी फाइल में ही है जिसके बाद आगे अपील न करने की बात कहते हुए महेश ने RTI का जवाब जल्द से जल्द देने का वादा किया।
काफी दिनों के टाल-मटोल के बाद महेश ने RTI आवेदक का फोन उठाना बंद कर दिया! दरअसल RTI कानून के अनुसार RTI का जवाब देने के लिए समय सीमा तय की गई है, अगर तय समय सीमा में RTI द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं मिलती है तो एक समय सीमा में आवेदक प्रथम एवं द्वितीय अपील भी कर सकता है और इस मामले में डाक विभाग में तैनात महेश का उद्देश्य भी यही रहा होगा ताकि आवेदक को आगे अपील करने का समय खत्म हो जाए और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करने वाली जानकारी को बचा लिया जाए।
महेश के अड़ियल रवैय्या से परेशान होकर RTI आवेदक दिल्ली नगर निगम के सिविल लाइन कार्यालय में पहुंचे और A. O. महोदया से मुलाकात कर महेश की मौखिक शिकायत दर्ज करायी, जिसपर A. O. महोदया ने आश्वासन दिया कि वो मामले पर संज्ञान लेगी एवं महेश पर उचित कार्रवाई करेगी।
तिमारपुर में PWD की सड़क के फुटपाथ पर लगने वाली अवैध दुकानों की जानकारी छुपाने के पीछे डाक विभाग के महेश का क्या फायदा हो सकता है इस बात आवेदक को तब पता चला जब RTI आवेदक (A.O.) निगम अधिकारी से मुलाकात कर वापिस अपने निवास की तरफ जा रहे थे, तभी तिमारपुर की जिस सड़क पर अवैध दुकानें लगी है वहां नजर पडी तो डाक विभाग के महेश उन गैरकानूनी दुकानों के पास खड़े मिले। आवेदक को अचानक सामने देखकर महेश के होश उड़ गये और महेश ने उनसे RTI का जवाब देने में हुई देरी की गलती मांगी और वहां से तुरंत भाग खड़े हुए।
इस पूरे मामले पर RTI आवेदक का साफ कहना है कि जिन अवैध दुकानों की जानकारी वो नगर निगम से आरटीआई के जरिए मांग रहे हैं, इनके बारे में समस्त क्षेत्र की जनता को पता है कि यह दुकानें पूंजीपतियों के द्वारा चलाईं जा रही है और इसके लिए दुकान मालिक निगम अधिकारी (L. I.) को मोटी रकम देते हैं और इस अवैध वसूली में क्षेत्र के प्रतिनिधि भी संलिप्त हो सकते हैं, क्योंकि इन अवैध दुकानों के ठीक सामने निगम पार्षदा का ऑफिस / घर भी है उसके बावजूद इन पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है अपितु निगम चुनाव में किए गए वायदे के विपरित इन अवैध दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही।
आवेदक ने कहा कि सूचना अधिकार 2005 अधिनियम के जरिए देश के प्रत्येक नागरिक को सूचना मांगने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है लेकिन उनके मामले में RTI कानून का क्षेत्रीय प्रतिनिधि, निगम अधिकारी, निगम डाक विभाग में तैनात महेश व भ्रस्ट लोग एकजुट होकर उल्लंघन कर रहे हैं, जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है!
इस मामले में आवेदक द्वारा लिखित शिकायत निगम उपायुक्त सिविल लाइन कार्यालय में दर्ज करा दी गई है, अब देखना होगा कि मामले में आगे क्या कार्यवाई देखने को मिलेगी।
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